बात कम कीजे
ज़ेहानत को छुपाए
रहिए
अजनबी शहर है ये,
दोस्त बनाए रहिए
दुश्मनी लाख सही, ख़त्म
न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न
मिले हाथ मिलाए रहिए
ये तो चेहरे
की शबाहत हुई
तक़दीर नहीं
इस पे कुछ
रंग अभी और
चढ़ाए रहिए
ग़म है आवारा
अकेले में भटक जाता
है
जिस जगह रहिए वहाँ
मिलते मिलाते रहिए
कोई आवाज़ तो जंगल
में दिखाए रस्ता
अपने घर के
दर-ओ-दीवार
सजाए रहिए
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